1. सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोडने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।
2. सब काम धर्मानुसार, अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहियें। 3. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। 4. सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार, यथायोग्य वर्तना चाहिये। 5. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिये। 6. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिये, किंतु सब की उन्नति में अपनी उन्नति समझनी चाहिये। 7. सब मनुष्यों को सामाजिक, सर्वहितकारी, नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिये और प्रत्येक हितकारी नियम पालने सब स्वतंत्र रहें।
No comments:
Post a Comment