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Maharishi Swami Dayanand Saraswati Founder of Arya Samaj. ARYA SAMAJ FOUNDED IN. MUMBAI ON APRIL 7th
Saturday, June 20, 2009
MAHRISHI DAYANANDA SARASWATI(6)
प्र. - ईश्वर न्यायकारी है व पक्षपाती ?
उ. - न्यायकारी
प्र. - जब ईश्वर न्यायकारी है तो सब के हृदयों में वेदों का प्रकाश क्यों नहीं किया, क्योंकि चारों के हृदयों में प्रकाश करने से ईश्वर में पक्षपात आता है ?
उ. - इससे ईश्वर में पक्षपात का लेश कदापि नहीं आता, किन्तु उस न्यायकारी परमात्मा का साक्षात् न्याय ही प्रकाशित होता है क्योंकि न्याय उसको कहते हैं कि जो जैसा कर्म करे उस को वैसा ही फल दिया जाय अब जानना चाहिये कि उन्हीं चार पुरुषों का ऐसा पूर्वपुण्य था कि उनके हृदय में वेदों का प्रकाश किया गया
प्र. - वे चार पुरुष तो सृष्टि की आदि में उत्पन्न हुए थे, उनका पूर्वपुण्य कहां से आया ?
उ. - जीव, जीवों के कर्म और स्थूल कार्य्य ये तीनों अनादि हैं, जीव और कारणजगत् स्वरूप से अनादि हैं, कर्म और स्थूल कार्य्यजगत् प्रवाह से अनादि हैं इसकी व्याख्या प्रमाणपूर्वक आगे लिखी जायेगी
प्र. - क्या गायत्र्यादि छन्दों का रचन ईश्वर नें ही किया है ?
उ. - यह शंका आपको कहां से हुई ? प्र. - मैं तुमसे पूछता हूँ क्या गायत्र्यादि छन्दों के रचने का ज्ञान ईश्वर को नहीं है ?
उ. - ईश्वर को सब ज्ञान है
अच्छा तो ईश्वर के समस्त विद्यायुक्त होने से आपकी यह शंका भी निर्मूल है
महर्षि दयानन्द सरस्वती(ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका)Q/A on CREATION OF VEDAS from MAHRISHI DAYANANDA SARASWATI(6)
उ. - न्यायकारी
प्र. - जब ईश्वर न्यायकारी है तो सब के हृदयों में वेदों का प्रकाश क्यों नहीं किया, क्योंकि चारों के हृदयों में प्रकाश करने से ईश्वर में पक्षपात आता है ?
उ. - इससे ईश्वर में पक्षपात का लेश कदापि नहीं आता, किन्तु उस न्यायकारी परमात्मा का साक्षात् न्याय ही प्रकाशित होता है क्योंकि न्याय उसको कहते हैं कि जो जैसा कर्म करे उस को वैसा ही फल दिया जाय अब जानना चाहिये कि उन्हीं चार पुरुषों का ऐसा पूर्वपुण्य था कि उनके हृदय में वेदों का प्रकाश किया गया
प्र. - वे चार पुरुष तो सृष्टि की आदि में उत्पन्न हुए थे, उनका पूर्वपुण्य कहां से आया ?
उ. - जीव, जीवों के कर्म और स्थूल कार्य्य ये तीनों अनादि हैं, जीव और कारणजगत् स्वरूप से अनादि हैं, कर्म और स्थूल कार्य्यजगत् प्रवाह से अनादि हैं इसकी व्याख्या प्रमाणपूर्वक आगे लिखी जायेगी
प्र. - क्या गायत्र्यादि छन्दों का रचन ईश्वर नें ही किया है ?
उ. - यह शंका आपको कहां से हुई ? प्र. - मैं तुमसे पूछता हूँ क्या गायत्र्यादि छन्दों के रचने का ज्ञान ईश्वर को नहीं है ?
उ. - ईश्वर को सब ज्ञान है
अच्छा तो ईश्वर के समस्त विद्यायुक्त होने से आपकी यह शंका भी निर्मूल है
महर्षि दयानन्द सरस्वती(ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका)Q/A on CREATION OF VEDAS from MAHRISHI DAYANANDA SARASWATI(6)
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