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जय दयानंद ज्ञान गुण सागर
जय कपीस सत्यार्थप्रकाश उजागर
ऋषि दूत अतुलित बलधामा
आर्यपुत्र अग्नि समाना
महावीर विक्रम आर्यवंशी
पुराणिक निवार वेदों के संगी
भगवा बरन बिराज सुवेसा
हाथन दंड कुंचित केसा
हाथ शास्त्र और शस्त्र विराजे
हाथों में जनेऊ सांजे
मूलसंकर सुवन यशोदानंदन
तेजप्रताप महाजगबन्धन
विद्यावान गुनी अति चातुर
ऋषियों के कार्य करिबे को आतुर
ऋषिचरित सुनिबे को रसिया
हिन्दू समाज मन बसिया
आर्य रूप धरि दिशा दिखावा
ज्ञानी रूप धरि शास्त्रार्थ में हरावा
आर्य रूप धरि पाखंड संहारे
काशी पंडो के काज सवारे
संस्कृत भाषा को पुनः जियाये
श्री गुरुकुल पद्धत्ति उर लाए
सम्पूर्ण आर्यावर्त बहुत बढ़ाई
तुम मम प्रिय पितामह सम आई
अनेको क्रांतिकारी तुम्हारो जस गावे
अस कही वीर कंठ लगावै
क्रांतिकारी, सेनानी मुनीसा,
श्रद्धानंद, भगत, आज़ाद सहित अहीसा
जम विद्वान दिक्पाल जहाते
कवि प्रेमचंद कहि सके कहा ते
तुम्हारो मंत्र बोस भी माना
आज़ाद हिंद फौज भय सभ जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु
ऐसे वैज्ञानिक फल जानू
ईश्वर वेद मिली मुख माही
अधार्मिक मत लांघे गए अचरज नाही
दुर्घम शास्त्रार्थ जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
गौमाता के तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सभ ज्ञान लहै तुम्हारी सरना
तुम गुरु होतो काहू को डरना
आपन तेज सम्हारो आपै
अब्राहम मत हॉक ते कापै
जिहादी, ईसाई निकट नही आवै
दयानंद जभ नाम सुनावै
पाखंड तै दयानंद छुड़ावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै
नासै पोप हरै सभ पीरा
जपत निरंतर दयानंद बीरा
संकट ते दयानंद छुड़ाई
सत्यार्थ प्रकाश जो पढ़ जावे
सभ पर राम तपस्वी राजा
उनका सम्मान दयानंद पुनः दिलावा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित वेदोक्त जीवन वह पावै
सम्पूर्ण आर्यावर्त प्रताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा
आर्ष शास्त्र के तुम रखवारे
मुल्ला निकंदन हिन्दुओ के दुलारे
योग सिद्धि ब्रह्मचर्य के दाता
अस बार दीन भारत माता
वेद रसायन तुम्हातरे पासा
सदा रहे धर्म के दासा
तुम्हारे वाक्य आर्यो को प्यारे
हजार वर्ष की गुलामी बिसरावै
अंत काल ईश्वर पुर जाई
जहा जन्म आर्य पुत्र दयानंद कहाई
कोई पोप मौलवी चित्त न धरई
दयानंद सेइ सर्व सुख करई
संकट कटए मिटए सभ पाखंड
जो सुमिरै दयानंद जीवन बीरा
जय जय जय दयानंद स्वामी
कृपा करहु गुरुदेव की नाई
जो प्रतिदिन एकबार पाठ कर कोई
छूटहि पाखंड महासुख होई
जो यह पढ़ए दयानंद चालीस
होई बुद्धि साखी गौरीसा
ऋषिदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा
आर्य तनय पाखंड हरण, भीम मूर्ति रूप।
हिन्दुओ के हृदय बसहु सुरभूप
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